जाके पांव न फटी बिवाई सो क्या जाने पीर पराई !!!

वित्त मंत्री प्रणव दा के मिताब्बिता बरतने के बयान पर शसी थरूर, फारुख अब्दुल्ला जैसे लोग जो हाय हल्ला मचा रहे हैं उसका कारन कहीं से भी समझ में नही आ रहा है। शासी थरूर जैसे हाई प्रोफाइल लोग शायद ये जानते भी न हो भारत आज भी वो देश है जहाँ करोडो लोग एरोप्लेन को सिर्फ़ आसमान में ही देखते है यहाँ तक की ट्रेन भी उनके लिए सपना है। करोनो लोग अभी भी गरीबी रेखा के नीचे नर्कीये जीवन जीने को मजबूर है। न सिक्षा की रोशनी, न बिजली की , न पर्याप्त भोजन और न छत करोनो लोग आराम के बिस्तर की भी आस नही कर पा रहे हैं। ऐसे में शासी थरूर जैसे सुबिधापरस्त और सरकारी धन पर मौज मस्ती करने वाले लोग अगर इकोनोमी क्लास में तकलीफ की बात करते है या उसे पशु श्रेणी बताते हैं तो इसमे आश्चर्य क्या है ? इन लोगो की आँखों पर गरीबो किसानो और मेहनत कस लोगो की कमाई पर गुलछर्रे उडा - उडा कर मगर मच्छ की चमडी उग आई है। अब इन्हे लाक्सुरी कारों के परे न तो हिंदुस्तान की टूटी सड़कें दिखती है और न अपने आलीशान बंगलो के परे गरीबो के टूटे झोपडे ही दीखते है। इनको इस तरह के बयान दागने में न तो शर्म है और न पश्चाताप। असली भारत का कल्याण तो भगवन भरोसे ही है।

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