टेक्नोलोजी
टेक्नोलोजी ने हमें कितना बदल दिया है ??? एक दिन discovary चैनेल पर भोजन पर आधारित एक कार्यक्रम देख रहा था तो सूत्रधार की एक लाइन मन में बस गयी "हम खाने को जितना बदलते जायेंगे खाना भी हमें उतना ही बदलता जायेगा" सचमुच कितना सच है. हम जीवन में जितने आराम तलब और प्रोसेस फ़ूड खाने वाले होते जा रहे है हमारी शरीरिक संरचना भी उतनी ही बदलती जा रही है. मै सोंचता हूँ की यही बात टेक्नोलोजी के सन्दर्भ में भी कही जा सकती है. टेक्नोलोजी के अनंत आविष्कारों ने हमारी जीवन की दशा और दिशा दोनों बदल कर रख दी है. एक उदहारण अगर हम फ़ोन का लेलें तो इसके अविष्कार और विकास के साथ पत्रों और डाकिया का कम समाप्य प्राय हो गया है . उंगुलियो की स्पीड पर लोगों से जुड़ जाना और बात करलेना कितना सरल और परिचित हो गया है. पर अगर हम सोंचे तो क्या वाकई में मोबाइल फ़ोन चिठियों का स्थान पर उनके भावात्मक विकल्प बन पाए है....?????? इस बात का दर्द और मतलब शायद नयी पीड़ी न समझे, पर वे लोग जरूर जानते है जिन्होंने अपनों से दूर रह कर उनको चिठ्ठी लिखी है. या फिर इस बात का महत्व उस औरत से पूंछो जिसने...