बाबा राम देव - सही या गलत ??
बाबा राम देव के भ्रष्टाचार विरोध और काले धन के वापसी के आन्दोलन पर बहुत लोगों की राय है की एक सन्यासी को राजनीतिक पैंतरों से दूर रहना चाहिए. शायद दूसरी दुनिया में रहने वाले ये लोग भारतीय सन्यासी परंपरा के बारे में नितांत अपरिचित है. और शायद ये सन्यासियों को गुफा कन्दरा में रहने वाला जीव समझते है?. एसे सब लोगो से मेरा एक ही विनम्र अनुरोध है के समग्रता से स्वामी विवेकानंद को पड़े. तब उनको समझ में ए गा की सन्यास परंपरा का उदय ही इन्ही कार्यों के लिए हुआ था. एक सन्यासी जो अपने पराये के प्रपंचो दूर है. उससे अधिक लोक मंगल कौन शोंच सकलता है? और महाकवि तुलसीदास को मने तो "संत वही जो लोक मंगल के लिए व्यग्र हो' क्या स्वामी रामदेव जी की यह व्यग्रता लोक मंगल के लिए नहीं है?? क्या कला धन वापस आया तो सिर्फ उन्हें व्यक्तिगत लाभ होगा? क्या भ्रष्टाचारियों से उनकी निजी दुश्मनी है??
भगवन स्वामी राम देव को उनके मार्ग में अनंत शक्तियों से उनको आप्लावित करें. और हम सब लोगो को सदबुधि दें.
महेश.
Comments
Post a Comment
आपके विचारों का स्वागत है.....विल्कुल उसी रूप में कहें जो आप ने सोंचा बिना किसी लाग लपेट के. टिप्पणी के लिए बहुत आभार.