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रोटी या अध्यात्म ?

प्रोफ्फेस्सर अगरवाल अनशन पर है । गंगा का अविरल प्रवाह जरी रहे, उनकी मांग है। विकासवादी लोग कहते है उन्हें बिजली चाहिए ताकि बड़ी बड़ी इंडस्ट्रीज लग सके लोग भोग विलास के सामान का अधिकतम प्रयोग कर सकें। गंगा का वजूद क्या है ? उसका महत्वा क्या सोअचने का उनके पास न तो समय है न पर्याप्त सम्बदन शीलता। प्रश्न है रोटी जरूरी है या अध्यात्मिक धरोहरें ? कुछ बाँध निर्माण में रोजगार पाए लोग प्रोफ्फेस्सर साहब को गंगा में फेकने तक की धमकी देने पहुँच गए। क्या कहा जाय ? गंगा हजारों वर्षो से श्रद्धा का केन्द्र है हम उसे माता कहते है ? दूसरी और उसके अस्तित्त्वा से खिलवाड़ करने से भी नही चूकते । ये कैसी श्रद्धा है? समय है सच्चे मन से प्रोफ्फेस्सर अगरवाल का समर्थन करने करने का। नही तो वही होगा " कारवां चला गया गुबार देखते रहे"

धन्यबाद

सम्मान्निये शोभा जी और हर्ष जी ब्लॉग पर आने और उत्त्साह बढाने के लिए धन्यबाद

वाह गुरू क्या खूब कहा ?

बढती मुद्रा स्फीत पर चिदंबरम जी के विचार हास्यास्पद लगे। बदती महगाई और मुद्रा स्फीत चिंताजनक है । पर इससे सरकार चिंतित है या नही, कुछ उपाय कर रही है या नही कुछ नही बताया। बस "चिंता जनक है" और इतिश्री । दुनिया के दो जाने मने अर्थ्विद भारत के दो सबसे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन है। लोग कहते है की अर्थ शास्त्र मी इनका सिक्का दुनिया मानती है, लेकिन भारत के लोग, करोड़ों गरीब लोग, करोड़ों बेरोजगार, चिंताजनक वेतन पर कम करने वाले करोड़ों मजदूर फैक्ट्री वोरकर, वाले इस देश मी महगाई और मुद्रस्फीत दोनों बेलगाम है। है रे विद्वता!! शर्म, इसलिए क्योंकि ये वो पुरोधा है जिन्होंने विकास और अर्थशास्त्र के गांधी मोडल को खारिज कर दिया था। उदारीकरण इनका मूल मंत्र था। तो इनको चिंता जनक हालत पर चिंता क्यां होगी ? उदारीकरण के खेवन हार उधोगपति और विदेशी व्यापारी मस्त है । सरकार मी आसीन मंत्री, बाबू उनके पैसों से मस्त है। महगाई और मुद्रस्फीत से जिनका सरोकार है , गाँधी के वे तीसरे आदमी विचारे मुद्रा स्फीत के मायाजाल को न समझ पते हुए सिर्फ़ सब्जियों और अन्य जरूरी चीजों के बड़ते दाम देख रहे है। बाकि राम

बी जे पी लगे रहो .......

बी जे पी ने कर्णाटक मे भी परचम लहराया , कांग्रेस मुह ताकती रही । देव गौडा जी जा कर कही चुल्लू भर पानी धुध ली जिए नाक डुबोने को। शर्म अति है देव गौडा जैसे लोगो पर । नेता के नाम पर कोरी गाली। सत्ता के लिए जनता के साथ कैसा शर्मनाक खेल ? परिणाम दुनिया देख रही है । जनता सब जानती है , समय आने पर बताती है। देव गौडा और उनके जैसे सत्ता लोलुप दम्भियो को सीख लेना चाहिए । कांग्रेस अभी समय है चेत जाओ । संसदिये चुनाव आने वाले है। यही हाल रहा तो नाव डूबेगी तय है। बिना नेता के कैसी पार्टी ?चुनाव हो जाने तक प्रधान मंत्री कौन होगा किसी को कोई ख़बर नही । जनता पारदर्शिता चाहती है । राहुल , सोनिया या मनमोहन आखिर कौन ? बी जे पी जीत का जश्न मत मनाओ ये एक बड़ी जिम्मेदारी है। जनता की अकंछाये पुरी न हुईं तो तुम भी जनार्दन के कोप से न बचोगे। येदुरप्पा जी बधाई। जिस बात के लिए अब तक जाने जाते रहे है उस पर कायम रहे। गरीब से गरीब और कमजोर दबे कुचलों को जब तक ये न महसूस होने लगे की यह देश उनका है, उनकी आवाज मे असर है, तब तक प्रजा तंत्र की यात्रा अधूरी है। उम्मीद है आप यह सबक याद रखेंगे.