ओ मन बावरे !!
कई बार ये बात मेरे मन में आती है, और शायद आपके भी ?? की जीवन सचमुच क्या है? और क्यों? बहुतेरों ने इस प्रश्न का उत्तर देना चाहा पर सचमुच क्या किसी को है खबर? कई बार तो मै कहता हूँ की मन बावरे ये इतनी दुविधा क्यों? क्यों इतनी चिंता, इर्ष्या, द्वेष. इतनी दुर्भावना क्यों ? शंसय बहुत प्रबल शत्रु है.. और शायद मित्र भी ? जीवन की इतनी अनिश्चितता ? और ये मिथ्या आडम्बर ?? ओ मन बावरे !! जरा ठहर ! साँस ले इस उठापठक और आप धापी से. दो पल बैठ और सोंच... प्यार से जीने पर जीवन सरल है ? या नही ??