Posts

Showing posts from October 9, 2011

पर उपदेश कुशल बहुतेरे........

आज के हालात पर  ओशो का कथन, मालूम नहीं कहाँ पढ़ा था, स्मरण हो रहा है ..."इतनी भक्ती, इतनी पूजा, इतने यात्राये, इतने घनघोर प्रवचन, इतने सम्प्रदाए और सन्यासी.......फिर इतनी अशांति, इतना अनाचार, दुराचार, भ्रस्ताचार, व्यभिचार, इतना पाप.......या तो हमरी प्रार्थनाएं सच्ची नहीं है या फिर ईस्वर का अस्तित्त्व ही नहीं है......." कितना सार्थक है...                                                                       टी. वी. चैनलों. पर लगातार चल रहे प्रवचन, पञ्च सितारा महात्मा जी और पंडाल ....करोनो अनुयायी.....और देश की  दशा और दिशा ???  हर भ्रस्ता चारी कही न कही तथाकथित महात्माओं का हस्त प्राप्त है....                                                                  कभी कभी तो लगता है जैसे भ्रस्ता चार हमारी विरासत में है. मंदिरों में इतने चढ़ावे....???और हजारों भुखमरी के शेकर....हजारों...कुपोषण के शिकार....अशिक्षा का अंधकार....सब इस महँ देश में एक ही धरती पर एक साथ.   किस काम की  हमारी श्रधा और आध्यात्मिकता...??? सगे भाई और कुटुम्बी दरिद्यता का अभिशाप भुगतने को मजबूर और हम दान पुण्य  औ